जब कभी फुर्सत मिले
Posted by नईम
Wednesday, March 24, 2010, under
|
0
comments
ये बरात भी ऐसी है जहां सिर्फ खुशियाँ ही नहीं मिलतीं.गाहे ब गाहे गम के झुरमुटों से भी गुज़रना होता है.जब कभी फुर्सत मिली तो आपको भी इस बरात में ज़रूर शामिल करूंगा.वादा रहा.
One Response to "जब कभी फुर्सत मिले"